GST के तहत इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS) क्या है: मुख्य विशेषताएं, फायदे और कैसे काम करता है

By Tanya Gupta

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Updated on: Dec 9th, 2024

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16 min read

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Goods and Services Tax Network (GSTN) लगातार अपने GST पोर्टल को सरल बना रहा है और नए फीचर्स जोड़ रहा है ताकि टैक्सपेयर्स के लिए कंप्लायंस और ऑडिटिंग आसान हो सके। लेटेस्ट फीचर है इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS), जो 1 अक्टूबर 2024 से लाइव हो गया है। इसका मकसद ITC क्लेम के प्रोसेस को सही तरीके से मैनेज करना है। इस आर्टिकल में हम IMS की मुख्य विशेषताएं और फायदे समझेंगे और जानेंगे कि ये कैसे काम करता है। हमारे साथ बने रहें!

लेटेस्ट अपडेट्स

14 अक्टूबर 2024
GSTN के लेटेस्ट एडवाइजरी के अनुसार, IMS को 14 अक्टूबर 2024 से GST पोर्टल पर उपलब्ध करा दिया गया है। पहला GSTR-2B जिसमें IMS के एक्शन होंगे, वह अक्टूबर 2024 का होगा और 14 नवंबर 2024 को जनरेट होगा।

9 सितंबर 2024
54वीं GST काउंसिल मीटिंग में वित्त मंत्री ने मौजूदा GST रिटर्न सिस्टम में सुधारों की सराहना की। 3 सितंबर को जारी एडवाइजरी के अनुसार, इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) लेने के लिए रिसीपियंट टैक्सपेयर्स को इनवॉइस को ‘एक्सेप्ट’, ‘रिजेक्ट’ या ‘पेंडिंग’ रखने का ऑप्शन मिलेगा। अभी के लिए IMS ऑप्शनल है, लेकिन इससे गलतियाँ कम होंगी, रीकंसीलिएशन बेहतर होगी, और ITC मिसमैच की वजह से आने वाले नोटिस कम हो जाएंगे।

GST के तहत इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS) क्या है?

इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम, या IMS, GST पोर्टल में एक नया फीचर है, जो रिसीपियंट टैक्सपेयर्स को उनके सप्लायर्स द्वारा फाइल की गई इनवॉइस को एक्सेप्ट, रिजेक्ट या पेंडिंग में रखने का ऑप्शन देता है। अक्सर ITC क्लेम करते वक्त सप्लायर द्वारा दाखिल किये गये इनवॉइस और रिसीपियंट द्वारा भरी गई रिटर्न में मैचिंग की समस्या आती है। IMS के आने के बाद, रजिस्टर्ड रिसीपियंट अपने रेकॉर्ड्स को सप्लायर्स की भरी गई GSTR-1 में इनवॉइस से मैच कर पाएंगे। इससे रिसीपियंट का ITC क्लेम प्रोसेस और आसान हो जाएगा।

IMS की शुरुआत कब होगी?

IMS फीचर को 1 अक्टूबर 2024 से GST पोर्टल पर लागू कर दिया गया। पूरे वर्कफ्लो को समझने के लिए वीडियो देखें।

IMS कैसे काम करता है?

GST कंप्लायंस में एक बड़ी समस्या होती है ITC लेना। IMS का मकसद इस प्रोसेस में आने वाली कई समस्याओं को हल करना है। जानिए ये कैसे काम करता है:

  1. सबसे पहले, सप्लायर्स अपनी GSTR-1 हर महीने की 11 तारीख तक या तो सबमिट और सेव करते हैं, या इनवॉइस को GSTR-1A के जरिए संशोधित (अमेंड) करते हैं।
  2. जैसे ही सप्लायर इनवॉइस सेव और सबमिट करता है, वह रिसीपियंट टैक्सपेयर के IMS डैशबोर्ड में और बाद में GSTR-2B में दिखाई देने लगते है।
  3. IMS डैशबोर्ड में सप्लायर का GSTIN, ट्रेड नाम, इनवॉइस नंबर, प्रकार, इत्यादि दिखता है।
  4. रिसीपियंट टैक्सपेयर्स को तीन विकल्प मिलते हैं: एक्सेप्ट, रिजेक्ट, या पेंडिंग। रिसीपींट टैक्सपेयर्स अपना एक्शन ले सकते हैं जब तक सप्लायर उनके GSTR1/IFF/1A के थ्रू इनवॉइसेस अपलोड कर रहा है, और ये टाइम लिमिट उनके मंथली GSTR-3B फाइल करने की लास्ट डेट, यानि महीने की 20th तक होती है।
  5. अगर रिसीपियंट एक्सेप्ट चुनता है, तो वह इनवॉइस उनके ऑटो-जनरेटेड ITC स्टेटमेंट या GSTR-2B का हिस्सा बन जाता है।
  6. अगर रिसीपियंट रिजेक्ट चुनता है, तो वह इनवॉइस ITC रिपोर्ट या GSTR-2B में शामिल नहीं होता।
  7. अगर रिसीपियंट इनवॉइस को पेंडिंग रखता है, तो यह उस महीने के GSTR-2B में काउंट नहीं होता और अगले महीने के लिए फॉरवर्ड हो जाता है।
  8. अगर रिसीपियंट किसी इनवॉइस पर कोई एक्शन नहीं लेता, तो सिस्टम इसे ‘माना गया एक्सेप्ट’ मानता है और अपने आप रिसीपियंट के GSTR-2B में जोड़ देता है।
  9. अगर सप्लायर किसी एक्सेप्टेड या पेंडिंग इनवॉइस में संशोधन करता है, तो संशोधित इनवॉइस पुराने इनवॉइस को रिप्लेस कर देता है। रिसीपियंट को नई इनवॉइस पर एक्शन लेना होता है।
  10. सप्लायर्स GSTR-1A के जरिये जो भी संशोधन करते हैं, वो अगले महीने के लिए IMS के माध्यम से रिसीपियंट के GSTR-2B में अपडेट होती है।
  11. टैक्सपेयर्स भविष्य के महीनों में पेंडिंग इनवॉइस को एक तय सीमा तक क्लेम कर सकते हैं, जो CGST एक्ट, 2017 के सेक्शन 16(4) के तहत है।

IMS कैसे काम करता है?

IMS के मुख्य फीचर्स

  • कम्युनिकेशन की सुविधा: IMS एक कम्युनिकेशन फीचर है GST पोर्टल पर, जो इनवॉयस डॉक्यूमेंटेशन के जरिए सप्लायर्स और रिसीपियंट्स को एक डैशबोर्ड पर जोड़ता है।
  • एक ही विंडो से GSTR-2B प्रोसेसिंग: कई सप्लायर्स के साथ डील करने वाले रिसीपियंट टैक्सपेयर्स सभी सप्लायर्स की इनवॉयस और ऑटो-जनरेटेड GSTR-2B को एक ही विंडो से मैनेज कर सकते हैं।
  • अतिरिक्त कंप्लायंस का झंझट नहीं: IMS के आने से टैक्सपेयर्स पर कोई अतिरिक्त कंप्लायंस का बोझ नहीं पड़ेगा। अगर रिसीपियंट किसी इनवॉयस पर एक्शन नहीं लेता, तो ये अपने आप ‘deemed accepted’ हो जाएगा।
  • इनवॉयस का सारांश: IMS डैशबोर्ड पर सभी इनवॉयस और उनके एक्शन्स का सारांश उपलब्ध होता है, जो मैनेजमेंट के फैसले और ऑडिटिंग के लिए फायदेमंद है।
  • अब सप्लायर्स अपने सबमिट किए गए इनवॉइस को आसानी से अपडेट कर सकते हैं: ये नई कार्यक्षमता सप्लायर्स के लिए सेव इनवॉइस को भी और आसान से एडिट करना संभव बनाती है।

इनवॉयस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS) डैशबोर्ड

GSTN द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार, इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम डैशबोर्ड इस प्रकार दिखता है

इनवॉयस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS) डैशबोर्ड

जीएसटी पोर्टल पर IMS का उपयोग कैसे करें?

खरीदार या विक्रेता के रूप में, आप GST Portal पर login करने के बाद IMS सुविधा पा सकते हैं। नीचे दी गई प्रक्रिया को step-by-step समझाया गया है:

Step 1: GST Portal में लॉगिन करें

जीएसटी पोर्टल में लॉगिन करें।
Services > Returns > ‘Invoice Management System (IMS)’ पर क्लिक करें।

जीएसटी पोर्टल

विक्रेता डैशबोर्ड (outward supply) और प्राप्तकर्ता डैशबोर्ड (inward supply) तक पहुँचने के लिए संबंधित टाइल पर ‘View’ बटन पर क्लिक करें।

विक्रेता डैशबोर्ड

Step 2: IMS डैशबोर्ड पर इनवॉयस का समरी देखें

खरीदार के रूप में, आप अपने GST-registered suppliers द्वारा उनके GSTR-1/GSTR-1A या IFF के माध्यम से रिपोर्ट किए गए सभी purchase/inward supply invoices को IMS डैशबोर्ड पर देख सकते हैं।

सभी invoices को निम्नलिखित headings में classify किया जाएगा:

  • B2B invoices
  • ई-कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा CGST Section 9(5) invoices
  • Credit notes और Debit notes (original और amended)

इन headings के तहत ‘No Action’, ‘Accepted’, ‘Rejected’ और ‘Pending’ के आधार पर records/documents की संख्या दिखाई जाएगी।

IMS डैशबोर्ड पर इनवॉयस का समरी

किसी भी heading पर क्लिक करके आप invoices की list देख सकते हैं और नीचे बताए गए अनुसार action ले सकते हैं।

invoices की list

Step 3: Action लें

आपको invoices पर action लेने के लिए निम्नलिखित options मिलेंगे:

  • A (Accept)
  • R (Reject)
  • P (Pending)

अगर आप कोई बटन नहीं चुनते हैं, तो इसे ‘No Action’ के रूप में माना जाएगा। अपनी action को save करने के लिए ‘Save’ बटन पर क्लिक करें।

  • संबंधित फ़िल्टर का चयन करें या खोज विकल्प का उपयोग करके किसी विशेष इनवॉइस को खोजें।
  • रिकॉर्ड को Excel sheet के रूप में डाउनलोड करें।

आपको invoices पर action लेने के लिए निम्नलिखित options मिलेंगे

रिकॉर्ड के checkboxes का उपयोग करके multiple selection करें या bulk action लें।

Note: अगर आपने GSTR-3B फाइल करने तक कोई action नहीं लिया, तो invoices को automatically accept माना जाएगा।

Step 4: Pending invoices को inform करें

अगर आप किसी invoice/CDN को बाद में review के लिए pending रखना चाहते हैं, तो ‘P’ विकल्प चुनें।
ध्यान दें: invoices को accept या reject करने की deadline CGST Section 16(4) के अनुसार होती है। Delay करने से आपकी working capital block हो सकती है।

Step 5: GSTR-2B generate करें/recompute करें

आमतौर पर आप हर महीने की 14 तारीख के बाद पिछले महीने के लिए GSTR-2B देख सकते हैं।

  • अगर आप 14 तारीख के बाद IMS में कोई action नहीं लेते हैं, तो GSTR-2B final माना जाएगा।
  • अगर आप 14 तारीख के बाद कोई action लेते हैं, तो system ‘Compute GSTR-2B’ बटन enable करेगा।

GSTR-2B generate करें

Step 6: GSTR-3B फाइल करें

IMS पर सभी necessary actions के बाद, GSTR-2B में approved invoices/debit notes ‘ITC Available’ section में आ जाएंगे। इन details को GSTR-3B के Table 4 में flow किया जाएगा।

Details को ध्यान से review करें, कोई discrepancy हो तो edit करें, और फिर GSTR-3B फाइल करें।

Detailed guide के लिए, हमारे article ‘IMS का उपयोग करने का step-by-step guide’ को पढ़ें।

टैक्सपेयर्स कैसे मैनेज करते हैं इनवॉइस और क्लेम करते हैं ITC?

फिलहाल टैक्सपेयर्स को इनवॉइस मैनेज करने, रीकंसीलिएट करने और ITC क्लेम करने के लिए कई स्टेप्स फॉलो करने पड़ते हैं:

  1. सबसे पहले अपने खरीद रजिस्टर से रिकॉर्ड्स इकट्ठा करना।
  2. GSTR-2A डाउनलोड करना।
  3. GSTR-2B डाउनलोड करना।
  4. GSTR-2A और खरीद रजिस्टर को मैच करना।
  5. GSTR-1 को सेल्स रजिस्टर के साथ मिलाना।
  6. GSTR-3B और GSTR-1 का मिलान करना।
  7. GSTR-2B और GSTR-3B को मैच करना।

IMS के फायदे

IMS का इस्तेमाल शुरू होने पर ये छोटे और बड़े कारोबारों के लिए फायदेमंद होगा।

  • सटीक ऑडिटिंग: IMS से ऑडिटर्स को हर इनवॉइस की पूरी तरह से जाँच करने में आसानी होगी।
  • GSTR-3B में कम से कम गलतियाँ: ये सिस्टम सभी इनवॉइस का सारांश देता है, जिससे GSTR-3B फाइल करते वक्त कोई इनवॉइस छूटने का खतरा नहीं रहता।
  • पेंडिंग इनवॉयस में कोई परेशानी नहीं: पेंडिंग इनवॉइस अगले टैक्स पीरियड में चली जाती है, जिससे GSTR-2B और 3B पर असर नहीं पड़ता।
  • QRMP टैक्सपेयर्स के लिए उपलब्ध: IMS छोटे कारोबारियों और QRMP टैक्सपेयर्स के लिए भी उपलब्ध है, पर उनके लिए GSTR-2B हर तिमाही के लिए बनेगी।

IMS की मुख्य बातें

  • 1 अक्टूबर 2024 से ये ऑनलाइन उपलब्ध हो गया।
  • ये हर इनवॉइस का अलग-अलग जांच करने और एक्शन लेने की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।
  • IMS किसी तरह का अतिरिक्त कंप्लायंस बोझ नहीं बढ़ाएगा।
  • ये बड़े कंपनियों में ऑडिट क्षमता को बढ़ाएगा और छोटे बिजनेस के लिए ITC क्लेम करना आसान बनाएगा।

Frequently Asked Questions

GST के तहत इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS) क्या है?

यह GST पोर्टल में एक नया कम्युनिकेशन फीचर है, जो टैक्सपेयर्स को हर एक इनवॉइस की जांच करने और उस पर एक्शन लेने की सुविधा देता है।

GST के तहत किसे इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग करना जरूरी है?

IMS की सुविधा सभी रिसीपियंट टैक्सपेयर्स के लिए उपलब्ध है, जिसमें QRMP टैक्सपेयर्स भी शामिल हैं।

क्या GST के तहत IMS के लिए कोई विशेष आवश्यकताएं हैं?

IMS टैक्सपेयर्स से हर एक इनवॉइस की जांच करने और उसे एक ही इंटरफेस से जांच करने की मांग करता है। हालांकि, अगर कोई टैक्सपेयर किसी इनवॉइस पर एक्शन नहीं लेता है, तो सिस्टम उसे deemed accepted' मानता है। इसलिए, इसमें कोई अतिरिक्त कंप्लायंस बोझ नहीं है।

IMS GST के तहत ई-इनवॉयसिंग को कैसे सपोर्ट करता है?

 इनवॉयस मैनेजमेंट सिस्टम ई-इनवॉयसिंग सिस्टम को कई तरीकों से सहायता कर सकता है, जैसे:

  • सप्लायर्स के लिए GSTR-1 को ऑटो-पॉप्युलेट करना और रिसीपियंट्स के लिए IMS, GSTR-2B और GSTR-3B को ऑटो-पॉप्युलेट करना।
  • सप्लायर्स द्वारा किए गए इनवॉइस के संशोधनों को अपने-आप से हैंडल करना।
  • रिसीपियंट टैक्सपेयर्स द्वारा इनवॉइस के रिजेक्शन को ट्रैक करना।
About the Author

A Chartered Accountant by profession and a content writer by passion, I've dedicated my career to unraveling the complexities of GST. With a firm belief that learning is a lifelong journey, I've honed my skills in simplifying intricate legal jargon into easily understandable content. The satisfaction of transforming complex tax laws into relatable narratives is what drives me. Read more

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