Goods and Services Tax Network (GSTN) लगातार अपने GST पोर्टल को सरल बना रहा है और नए फीचर्स जोड़ रहा है ताकि टैक्सपेयर्स के लिए कंप्लायंस और ऑडिटिंग आसान हो सके। लेटेस्ट फीचर है इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS), जो 1 अक्टूबर 2024 से लाइव हो गया है। इसका मकसद ITC क्लेम के प्रोसेस को सही तरीके से मैनेज करना है। इस आर्टिकल में हम IMS की मुख्य विशेषताएं और फायदे समझेंगे और जानेंगे कि ये कैसे काम करता है। हमारे साथ बने रहें!
लेटेस्ट अपडेट्स
14 अक्टूबर 2024
GSTN के लेटेस्ट एडवाइजरी के अनुसार, IMS को 14 अक्टूबर 2024 से GST पोर्टल पर उपलब्ध करा दिया गया है। पहला GSTR-2B जिसमें IMS के एक्शन होंगे, वह अक्टूबर 2024 का होगा और 14 नवंबर 2024 को जनरेट होगा।9 सितंबर 2024
54वीं GST काउंसिल मीटिंग में वित्त मंत्री ने मौजूदा GST रिटर्न सिस्टम में सुधारों की सराहना की। 3 सितंबर को जारी एडवाइजरी के अनुसार, इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) लेने के लिए रिसीपियंट टैक्सपेयर्स को इनवॉइस को ‘एक्सेप्ट’, ‘रिजेक्ट’ या ‘पेंडिंग’ रखने का ऑप्शन मिलेगा। अभी के लिए IMS ऑप्शनल है, लेकिन इससे गलतियाँ कम होंगी, रीकंसीलिएशन बेहतर होगी, और ITC मिसमैच की वजह से आने वाले नोटिस कम हो जाएंगे।
इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम, या IMS, GST पोर्टल में एक नया फीचर है, जो रिसीपियंट टैक्सपेयर्स को उनके सप्लायर्स द्वारा फाइल की गई इनवॉइस को एक्सेप्ट, रिजेक्ट या पेंडिंग में रखने का ऑप्शन देता है। अक्सर ITC क्लेम करते वक्त सप्लायर द्वारा दाखिल किये गये इनवॉइस और रिसीपियंट द्वारा भरी गई रिटर्न में मैचिंग की समस्या आती है। IMS के आने के बाद, रजिस्टर्ड रिसीपियंट अपने रेकॉर्ड्स को सप्लायर्स की भरी गई GSTR-1 में इनवॉइस से मैच कर पाएंगे। इससे रिसीपियंट का ITC क्लेम प्रोसेस और आसान हो जाएगा।
IMS फीचर को 1 अक्टूबर 2024 से GST पोर्टल पर लागू कर दिया गया। पूरे वर्कफ्लो को समझने के लिए वीडियो देखें।
GST कंप्लायंस में एक बड़ी समस्या होती है ITC लेना। IMS का मकसद इस प्रोसेस में आने वाली कई समस्याओं को हल करना है। जानिए ये कैसे काम करता है:
GSTN द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार, इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम डैशबोर्ड इस प्रकार दिखता है
खरीदार या विक्रेता के रूप में, आप GST Portal पर login करने के बाद IMS सुविधा पा सकते हैं। नीचे दी गई प्रक्रिया को step-by-step समझाया गया है:
Step 1: GST Portal में लॉगिन करें
जीएसटी पोर्टल में लॉगिन करें।
Services > Returns > ‘Invoice Management System (IMS)’ पर क्लिक करें।
विक्रेता डैशबोर्ड (outward supply) और प्राप्तकर्ता डैशबोर्ड (inward supply) तक पहुँचने के लिए संबंधित टाइल पर ‘View’ बटन पर क्लिक करें।
Step 2: IMS डैशबोर्ड पर इनवॉयस का समरी देखें
खरीदार के रूप में, आप अपने GST-registered suppliers द्वारा उनके GSTR-1/GSTR-1A या IFF के माध्यम से रिपोर्ट किए गए सभी purchase/inward supply invoices को IMS डैशबोर्ड पर देख सकते हैं।
सभी invoices को निम्नलिखित headings में classify किया जाएगा:
इन headings के तहत ‘No Action’, ‘Accepted’, ‘Rejected’ और ‘Pending’ के आधार पर records/documents की संख्या दिखाई जाएगी।
किसी भी heading पर क्लिक करके आप invoices की list देख सकते हैं और नीचे बताए गए अनुसार action ले सकते हैं।
Step 3: Action लें
आपको invoices पर action लेने के लिए निम्नलिखित options मिलेंगे:
अगर आप कोई बटन नहीं चुनते हैं, तो इसे ‘No Action’ के रूप में माना जाएगा। अपनी action को save करने के लिए ‘Save’ बटन पर क्लिक करें।
रिकॉर्ड के checkboxes का उपयोग करके multiple selection करें या bulk action लें।
Note: अगर आपने GSTR-3B फाइल करने तक कोई action नहीं लिया, तो invoices को automatically accept माना जाएगा।
Step 4: Pending invoices को inform करें
अगर आप किसी invoice/CDN को बाद में review के लिए pending रखना चाहते हैं, तो ‘P’ विकल्प चुनें।
ध्यान दें: invoices को accept या reject करने की deadline CGST Section 16(4) के अनुसार होती है। Delay करने से आपकी working capital block हो सकती है।
Step 5: GSTR-2B generate करें/recompute करें
आमतौर पर आप हर महीने की 14 तारीख के बाद पिछले महीने के लिए GSTR-2B देख सकते हैं।
Step 6: GSTR-3B फाइल करें
IMS पर सभी necessary actions के बाद, GSTR-2B में approved invoices/debit notes ‘ITC Available’ section में आ जाएंगे। इन details को GSTR-3B के Table 4 में flow किया जाएगा।
Details को ध्यान से review करें, कोई discrepancy हो तो edit करें, और फिर GSTR-3B फाइल करें।
Detailed guide के लिए, हमारे article ‘IMS का उपयोग करने का step-by-step guide’ को पढ़ें।
फिलहाल टैक्सपेयर्स को इनवॉइस मैनेज करने, रीकंसीलिएट करने और ITC क्लेम करने के लिए कई स्टेप्स फॉलो करने पड़ते हैं:
IMS का इस्तेमाल शुरू होने पर ये छोटे और बड़े कारोबारों के लिए फायदेमंद होगा।