आयकर क्या है? इनकम टैक्स या आयकर एक प्रकार का कर जो व्यक्तियों और व्यासायों द्वारा एक वित्तीय वर्ष के दौरान कमाई गई आय पर केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है। इस टैक्स की गणना आयकर विभाग द्वारा परिभाषित टैक्स स्लैब के आधार पर होती है।
बजट 2023 अपडेट
• नए कर व्यवस्था के तहत 7 लाख रुपए तक की आय पर कर छूट दी जाएगी। इसका मतलब यह की अगर आपकी कर योग्य आय नई कर व्यवस्था के तहत 7 लाख या उससे कम है तो आपको कर का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
• नई कर व्यवस्था के अनुसार नए टैक्स स्लैब होंगें:
टैक्स स्लैब | टैक्स रेट |
3 लाख रूपये | शून्य |
3 लाख से 6 लाख रूपये | 5% |
6 लाख से 9 लाख रूपये | 10% |
9 लाख से 12 लाख रूपये | 15% |
12 लाख से 15 लाख रूपये | 20% |
15 लाख से ऊपर। | 30% |
• वेतनभोगी कर देने वाले लोगों के लिए नई कर व्यवस्था के अनुसार 50,000 रूपये की मानक कटौती लागू की गई है।
• नई कर व्यवस्था के अनुसार उच्चतम अधिभार 5 करोड़ रूपये से ज्यादा आय वाले लोगो के लिए 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है। इस नीति के चलते उनकी कर दर 42.74 प्रतिशत से घटकर 39% प्रतिशत हो जाती है।
• नई आईटी व्यवस्था डिफॉल्ट कर व्यवस्था होगी। लेकिन करदाता पुरानी व्यवस्था को भी चुन सकते हैं।
• गैर सरकारी कर्मचारियों के लिए लीव इनकैशमेंट को 3 लाख रूपये से बढ़कर 25 लाख रूपये कर दिया गया है।
• ईपीएफ निकलवाने पर टीडीएस दर 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दी गई है।
• 02 मई 2022 - सीबीडीटी ने अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न्स के लिए फॉर्म भरने की सूचना दी।
• 27 अप्रैल 2022 - इनकम टैक्स पोर्टल पर फॉर्म 26A, फॉर्म 27BA, फॉर्म 10BD और फॉर्म 10BE उपलब्ध है।
• 20 अप्रैल 2022- इनकम टैक्स पोर्टल ने यह घोषणा की कि जून 2021 में भरे गए फॉर्म के लिए UDIN अपडेट शुरू कर दिए गए हैं।
बजट 2022 अपडेट
• करदाताओं को पिछले रिटर्न्स को अपडेट करने और अतिरिक्त कर भुगतान द्वारा छोड़ी गई आय को शामिल करने की इजाजत देने के लिए नया प्रावधान लागू किया गया है।
• क्रिप्टो जैसी डिजिटल संपत्ति के ट्रांसफर से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर देय होगा।
• दीर्घावधि पूंजीपत लाभ जिसे हम लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) भी कहते है पर अधिभार 15 प्रतिशत तक सीमित कर दिया गया है।
आयकर एक प्रकार का कर है जो केंद्र द्वारा व्यक्तियों और व्यावसायों द्वारा एक वित्तीय वर्ष के दौरान कमाई पर आय पर वसूला जाता है। कर किसी भी राष्ट्र के केंद्र सरकार के लिए राजस्व का एक स्त्रोत है। सरकार इन राजस्व का इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, स्वास्थ सेवा, शिक्षा, किसान/कृषि क्षेत्रों को सब्सिडी और अन्य सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का सुचारू रूप से संचालन के लिए करती है। कर मुख्य रूप से दो पर प्रकार के होते हैं, प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर। एक वित्तीय वर्ष में कमाई गई आय पर सीधे लगाया जाने वाले कर को प्रत्यक्ष कहते हैं। उदाहरण के तौर पर आयकर एक प्रत्यक्ष कर है। कर गणना वित्तीय वर्ष के दौरान लागू की है आय स्लैब दरों पर आधारित होती है।
प्रत्यक्ष करों को मुख्य रूप से इस प्रकार विभाजित किया गया है:
• आयकर- यह एक व्यक्ति यह एक हिंदू अविभाजित परिवार यह कंपनियों के अलावा कोई भी करदाता हो सकता है, जो अर्जित आय पर भुगतान करता है। कानून द्वारा उस आय दर को निर्धारित किया जाता है जिस पर ऐसा आय कर लगाया जाना चाहिए।
• कॉरपोरेट टैक्स - ये कर वह कर है जो कंपनिया अपने कारोबार से होने वाले मुनाफे पर चुकाती हैं। गौरतलब है, कॉर्पोरेट्स के लिए कर की एक विशिष्ट दर भारत के आयकर कानून द्वारा निर्धारित की गई है।
आयकर अधिनियम द्वारा करदाताओं को अलग अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है। अलग अलग तरह के टैक्स देने वाले लोगों व कंपनियों के लिए अलग अलग टैक्स नियम लागू होते हैं
करदाताओं को निम्न रूप से वर्गित किया गया है:
• व्यक्तियों
• हिंदू अविभाजित परिवार (HUF)
• फर्मों
• कंपनियों
• व्यक्तियों का संघ(एलपीओ)
• व्यक्तियों का निकाय (BOI)
• स्थानीय प्राधिकारी
• कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति
इसके अलावा व्यक्तियों को मोटे तौर पर निवासियों और अनिवासियों के रूप में बांटा जाता है। निवासी व्यक्ति को भारत में अपने वैश्विक आय यानी भारत और विदेश में कमाई गई आय पर कर भुगतान करना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर अनिवासी एक वित्तीय वर्ष में जो कुछ भी आय कमाते है, उन्हें केवल भारत में कमाई गई राशि पर कर भुगतान करने की आवश्यकता होती है। भारत में रहने की व्यतिगत समय सीमा के आधार पर प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए कर उद्देश्यों के लिए आवासीय स्थिति को अलग से निर्धारित किया जाता है। निवासी व्यक्तियों को आगे कर उद्देश्यों के लिए निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जाता है-
• 60 साल से कम आयु के व्यक्ति
• 60 साल से ज्यादा लेकिन 80 साल से कम आयु के व्यक्ति
• 80 साल से अधिक आयु के व्यक्ति
हर कोई जो भारत में रहकर आय कमाता है या आय प्राप्त करता है, आयकर के अधीन है (चाहे वह भारत का निवासी हो या अनिवासी)। आसान वर्गीकरण के लिए , आयकर विभाग ने आय को 5 मुख्य भागों में बांटा हैं :
आय प्रमुख | कवर की गई आय की प्रकृति |
अन्य स्रोतों से आय | बचत बैंक खाते के व्याज, सावधि जमा, लॉटरी में मिली जीत वाली आय इस मद में कर योग्य होती है |
घर संपत्ति से आय | हाउस प्रॉपर्टी को किराए पर देने से अर्जित की कमाई,इस आय के अनुसार टैक्सेबल होती है |
पूंजीगत लाभ से आय | म्यूचुअल फंड, शेयर, गृह संपत्ति आदि जैसी पूंजीगत संपत्ति को बेचने से होने वाली आय, इस आय के अनुसार कर योग्य है |
व्यापार और पेशे से आय | स्व-नियोजित व्यक्तियों, व्यवसायों, फ्रीलांसरों या ठेकेदारों द्वारा कमाई गई लाभ राशि और जीवन बीमा एजेंटों, चार्टर्ड एकाउंटेंट, डॉक्टरों और वकीलों जैसे पेशेवरों द्वारा कमाई गई आय, जिनके पास अपना खुद का अभ्यास है, ट्यूशन टीचर इस मद के तहत कर योग्य हैं। |
वेतन से आय | वेतन और पेंशन से कमाई गई आय, आया इस मद के अनुसार कर योग्य है। |
इनमें से प्रत्येक करदाता पर भारतीय आयकर विभाग के कानून के अनुसार अलग अलग कर लगाया जाता है। वहीं दूसरी ओर फर्मों और भारतीय कंपनियों के पास उनके कर लाभों पर गणना की गई कर की एक निश्चित दर होती है, व्यक्ति, एचयूएफ, एओपी और बीओआई करदाताओं पर आय स्लैब के आधार पर कर लगाया जाता है। लोगो की आय को टैक्स ब्रैकेट या टैक्स स्लैब कहे जाने वाले ब्लॉक में विभाजित किया गया है। हर टैक्स स्लैब की अलग टैक्स दर निर्धारित होती है। जिस दर पर आय का टैक्स लगाया जाता है वह आय में वृद्धि के साथ बढ़ती जाती है। बजट 2020 ने व्यक्तियों और कर दाताओं के लिए एक ‘नई कर व्यवस्था’ लागू की।
पुरानी कर व्यवास्था के अनुसार आयकर लगाने के लिए 3 स्लैब दरें प्रदान करती हैं जो 5%, 20% कर दर और आय के विभिन्न ब्रैकेट के लिए 30 प्रतिशत है। व्यक्तियों को आयकर विभाग की ओर से इस कर व्यवस्था को जारी रखने का विकल्प दिया गया है और वे लीव ट्रैवल कंसेशन (LTC), हाऊस रेंट अलाउंस (HRA) और अलग तरह के भत्तों पर कटौती का दावा पेश कर सकते हैं। इसके अलावा, धारा 80C(एलआईसी, पीपीएफ, एनपीएम इत्यादि) से 80U के तहत कर बचत निवेश के लिए कटौती का दावा कर सकते हैं। 50,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन(स्टैंडर्ड कटौती), होम लोन पर चुकाए गए ब्याज पर कटौती। पुरानी कर व्यवस्था के लिए 60 साल से कम के व्यक्तिगत करदाता के लिए लागू की गई कर स्लैब दरें निम्लिखित है।
आय सीमा | कर की दर
| टैक्स देय होगा
|
2,50,000 रूपये तक | 0 | कोई कर नहीं देना होगा |
2.5 लाख रूपये-5 लाख रूपये | 5% | कर योग्य का 5 प्रतिशत |
5 लाख रूपये -10 लाख रूपये | 20% | 12,500 रूपये+ 5 लाख रूपये से अधिक आय पर 20% |
10 लाख से ऊपर | 30% | 10 लाख रूपये से अधिक कमाई पर 1,12,500 रूपये+30% |
दो और आयु वर्ग के लिए दो अन्य टैक्स स्लैब है: वे को 60 या उससे ज्यादा उम्र के हैं और जिनकी उम्र 80 के ऊपर हैं। नोट: अक्सर लोग यह समझने की गलती कर बैठते है की अगर वे 12 लाख रूपये कमाते हैं तो उन्हें 12 लाख का 30 प्रतिशत कर देना होगा जो कि गलत है। एक व्यक्ति जो 12 लाख कमा रहा है उसे 1,12,500 रूपये+ 60,000 रूपये= 1,72,500 रूपये का कर भुगतान करना पड़ेगा। पिछले वर्षों और अलग अलग आयु वर्ग के लिए आयकर स्लैब देखें।
वित्तीय वर्ष 2020-21 से कम कर दरों और शून्य कटौती/छूट के साथ लोगों और HUF के लिए एक नई कर व्यवस्था मौजूद है। लोगो और एचयूएफ के पास नई कर व्यवस्था चुनने या पुरानी कर व्यवस्था जारी रखने का विकल्प भी मौजूद है। नई कर व्यवस्था वैकल्पिक है और आईटीआर दाखिल करते वक्त इसका चुनाव किया जाना चाहिए। अगर पुरानी व्यवस्था को जारी रखा जाता है तो करदाता द्वारा उपलब्ध सभी कटौतियों/छूटों का लाभ उठा पाएंगे।
वित्तीय वर्ष 2022-23 (आयु 2023-24) के लिए नई कर व्यवस्था के अनुसार निम्न आयकर स्लैब हैं:
नई कर व्यवस्था की स्लैब दरें (वित्त वर्ष 2022-23) | पुरानी कर व्यवस्था स्लैब दरें ( वित्तीय वर्ष 2022-23) | ||
2.5 लाख रूपये तक | शून्य | 2.5 लाख रूपये तक | शून्य |
2.5 लाख से 5 लाख तक | 5% | 2.5 लाख से 5 लाख तक | 5% |
5 लाख रूपये से 7.5 लाख रूपये | 10% | 5 लाख रूपये से 10 लाख रूपये | 20% |
7.5 लाख रूपये से 10 लाख रूपये | 15% | 10 लाख से ऊपर की आय 30% | 30% |
10 लाख रूपये से 12.5 लाख रूपये | 20% | ||
12.5 लाख रूपये से 15 लाख रूपये | 25% | ||
15 लाख से ऊपर की आय | 30% |
बजट 2023 में, वित्त वर्ष 2023-24(आयु 2024-25) के लिए नई कर व्यवस्था के अनुसार आयकर स्लैब में निम्नलिखित संशोधन किए गए हैं:
अगर करदाता नई कर व्यवस्था के विकल्प का चुनाव करते हैं तो कटौती और छूट जैसी कटौती की अनुमति नहीं होगी। लेकिन नई कर व्यवस्था के तहत निम्न छूट और कटौती उपलब्ध है:
• विशेष रूप से विकलांग व्यक्ति के मामले में परिवहन भत्ता
• रोजगार के लिए किए वाहन व्यय को पूरा करने के लिए वाहन भत्ता मिलेगा
• टूर और ट्रांसफर की यात्रा को पूरे करने के लिए प्राप्त मुआवजा
• ड्यूटी के नियमित स्थान पर गैरमौजूदगी के कारण आपके द्वारा किए गए नियमित शुल्क या व्यय को पूरा करने के लिए प्राप्त दैनिक भत्ता
हमे यह ध्यान रखना चाहिए की सभी आय पर स्लैब के आधार पर कर नहीं लागू किया जा सकता हैं। पूंजीगत लाभ आय इस कानून का अपवाद है। कैपिटल गेन पर कर आपके पास कितनी संपत्ति है और कितने समय से है, इस बात पर निर्भर करता है। होल्डिंग अवधि यह निर्धारित करती है कोई परिसंपत्ति लंबे समय की है या छोटी अवधि की। संपत्ति के प्रकृति का निर्धारण करने के लिए होल्डिंग अवधि भी विभिन्न संपत्तियों के लिए अलग अलग होती है। होल्डिंग अवधि, संपत्ति की प्रकृति और उनमें से प्रत्येक के लिए कर की दर की एक झलक नीचे दी गई है।
वित्तीय वर्ष एक साल का समय है जिसका इस्तेमाल करदाता लेखांकन और वित्तीय रिपोर्टिंग के उद्देश्य के लिए करते हैं। यह वह वर्ष है जिसमे आय कमाई जाती है। आयकर अधिनियम के तहत, ऐसी अवधि कैलेंडर वर्ष के 1 अप्रैल से अगले कैलेंडर वर्ष में 31 मार्च तक होती हैं। इसका शॉर्ट फॉर्म FY है। उदाहरण के लिए 1 अप्रैल 2022 से शुरू होकर 31 मार्च 2023 को खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष के हम इसे FY 2022-23 लिखा जाता सकता है।
वित्तीय वर्ष के तुरंत बाद शुरू होने वाली 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की समय अवधि को निर्धारण वर्ष कहते हैं। इस वर्ष में करदाताओं को वित्तीय वर्ष में कमाई हुई आय का मूल्यांकन कारण होता है और करो का भुगतान किया जाता है इसलिए इसे निर्धारण वर्ष कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर, वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कमाई गई आय के लिए आकलन वर्ष निर्धारण वर्ष 2023-24 होगा।
निर्धारिति एक व्यक्ति या के समूह है जो अपनी आय का आकलन करके आयकर अधिनियम के अनुसार देय कर का भुगतान करता है। निर्धारिती कोई भी व्यक्ति, एक साझेदारी फर्म, एक कंपनी, व्यक्तियों का संघ(AOP), ट्रस्ट आदि कुछ भी हो सकता है।
पैन स्थाई खाता संख्या (परमानेंट अकाउंट नंबर) का शॉर्ट फॉर्म है। यह 10 अंकिया अल्फान्यूमेरिक अंक है जो आयकर विभाग द्वारा भारतीय करदाताओं के लिए जारी किया जाता है। किसी भी व्यक्ति के सभी कर संबधी लेन देन और जानकारी उनके अद्वितीय स्थाई खाता संख्या के विरुद्ध दर्ज होती है। अग्रिम कर या स्व- मूल्यांकन कर का भुगतान करने के लिए व्यक्ति को अपने पैन संख्या के उल्लेख करने की जरूरत होती है। इसके अलावा जब व्यक्ति कुछ संस्थाओं जैसे बैंकों, म्यूचुअल फंड कम्पनियों आदि को अपना पैन जमा करता है, तो ऐसे कंपनियों की जानकारी आयकर विभाग तक पैन के माध्यम से ही जाती है। पैन कर अधिकारी को कर संबंधी सभी गतिविधियों को आयकर विभाग के साथ जोड़ने की अनुमति देता। इसलिए सिर्फ pan नंबर डालकर करदाता सभी वित्तीय लेनदेन की जानकारी कर सकता है।
टैक्स डिडक्शन एंड कलेक्शन अकाउंट नंबर को संक्षिप्त में TAN कहते हैं। यह भारतीय आयकर विभाग द्वारा जारी किया गया अद्वितीय 10 अंकों का अल्फान्यूमेरिक अंक है। TAN पाने के लिए कटौती (TDS) या कर संग्रह (TCS) के लिए सभी व्यक्ति जिम्मेदार हैं। TDS/TCS रिटर्न, किसी भी TDS/TCS भुगतान चालान और TDS/TCS प्रमाणपत्रों में TAN का उल्लेख करना अनिवार्य है।
भारत में आयकर की वसूली कर देने वाले व्यक्ति के आवासीय स्थिति पर आधारित है। भारतीय निवासी को अपनी वैश्विक आय यानी भारत और विदेश में कमाई हुई धन राशि पर कर का भुगतान करना पड़ता हैं। वहीं दूसरी ओर जो लोग अनिवासी के तौर पर यहां रह रहे हैं उन्हें केवल भारतीय आय पर कर भुगतान करना होगा। आवासीय स्थिति को हर वित्तीय वर्ष के लिए अलग से निर्धारित किया जाता है, जिसके लिए आय और करो की गणना की जाती है।
कुछ विशिष्ट भुगतानों के लिए, आय प्राप्तकर्ता को भुगतान करते समय भुगतानकर्ता द्वारा सोर्स पर कर काटा जाता है। आय प्राप्तकर्ता अंतिम कर देयता के साथ टीडीएस राशि के क्रेडिट का दावा भी कर सकता है।
करदाता को पहले से कर का भुगतान करना होगा जब साल के लिए उसकी अनुमानित आयकर भुगतान राशि 10,000 रुपये से अधिक हो। सरकार ने पहले कर किश्तों के भुगतान के लिए नियत तारीखें निर्दिष्ट की हैं।
ये वह कर है जिसे करदाता को निर्धारित आय पर भरना पड़ता है । स्व-मूल्यांकन कर की गणना अग्रिम कर और टीडीएस को निर्धारित आय पर गणना की गई कुल आयकर से घटाने के बाद की जाती है।
करदाता NSDL की वेबसाइट पर जाकर अग्रिम कर, स्व-मूल्यांकन कर का ऑनलाइन भुगतान कर सकते हैं। लेकिन, करदाता के पास अधिकृत बैंक की नेट बैंकिंग सुविधा होनी चाहिए।
कुछ अपवादों को छोड़कर सभी वर्गों के करदाताओं के लिए आयकर कानून के तहत ऑनलाइन आयकर विवरणी दाखिल करना अनिवार्य कर दिया गया है:
• 80 साल और उससे अधिक आयु के करदाताओं को ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं है।
• 5 लाख रुपये से कम आय वाले और रिफंड का दावा नहीं करने वाले करदाताओं को ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने की आवश्यकता नहीं है।
बाकी सभी के लिए ऑनलाइन फाइलिंग अनिवार्य है। ध्यान रखें कि रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा भी निर्धारित कर दी गई है। ज्यादातर व्यक्तिगत करदाताओं के लिए, संबंधित वित्तीय वर्ष के तुरंत बाद आय की विवरणी दाखिल करने की नियत तारीख 31 जुलाई है। अगर आप समय पर इसे फाइल नहीं करते हैं, तो यहा आपको कुछ नुकसान झेलना पड़ेगा हैं:
• भविष्य के वर्षों के लिए आपको नुकसान (घर की संपत्ति के नुकसान को छोड़कर) को आगे बढ़ाने से वंचित कर दिया जाएगा।
• रिफंड दावों की प्रक्रिया में देरी का सामना करना पड़ेगा, यदि कोई हो
• होम लोन लेने में परेशानी
• धारा 234F के अनुसार 10,000 रुपये तक दाखिल करने का लेट शुल्क
• 234A के अंतर्गत ब्याज की वसूली, अगर 31 जुलाई को देय कर हैं।
ई-फाइलिंग ऑनलाइन आयकर वेबसाइट पर दाखिला करने का आसान, सही और बेहतर विकल्प है। साथ ही यह आपके आयकर रिटर्न की ई-फाइलिंग से कहीं अधिक है। स्पष्ट रुप से आपको उन सभी कटौतियों का दावा करने में मददगार साबित होता है, निवेश करने में मदद करता है। एक बार जब आप अपना रिटर्न ऑनलाइन भर देते हैं, तो आप या तो उसका ई-वेरिफिकेशन कर सकते हैं या ITR V का प्रिंट ले सकते हैं और इसे अपने रिटर्न की प्रक्रिया के लिए CPS, बेंगलुरु भेज सकते हैं।
कर देने वालों को हर साल आयकर विभाग द्वारा निर्धारित आईटीआर फॉर्म के माध्यम से आयकर रिटर्न दाखिल करना पड़ता। सरकार ने सात आईटीआर फॉर्म निर्धारित किए हैं, जिनके जरिए करदाता अपना आयकर रिटर्न दाखिल कर सकता है। करदाता को उपयुक्त आईटीआर फॉर्म का चुनाव कर अपना आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा।
सात ITR फॉर्म निम्नलिखित हैं:
फॉर्म 16, फॉर्म 26AS, फॉर्म 16A, किए गए कर बचत निवेश का प्रमाण, बैंक खाता विवरण इत्यादि कुछ महत्वपूर्ण विवरण/दस्तावेज हैं, जिसे आपको अपना रिटर्न दाखिल करने से पहले तैयार रखना चाहिए। इसके अलावा आपको अपना टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए जिन दस्तावेजों की जरूरत पड़ने वाली है, वे काफी हद तक आपकी आय के सोर्स पर निर्भर करते हैं।
करदाता को आय की प्रकृति के आधार पर आयकर की गणना करनी चाहिए। वेतनभोगी व्यक्ति मिले हुए विभिन्न भत्तों पर उपलब्ध छूट ले सकता है, अगर वह योग्य है। व्यक्ति/एचयूएफ धारा 80C से 80U के तहत कटौती ले सकते हैं, इसे ग्रॉस टोटल आय से घटा सकते हैं, और आयकर देयता की गणना कर सकते हैं। साथ ही, भुगतान किए गए करों, जैसे कि अग्रिम कर, टीडीएस, आदि द्वारा कुल आयकर देयता को समायोजित किया जाना जरूरी है। साथ ही, करदाता को धारा 87A के अनुसार छूट और धारा 89, धारा 90, और धारा 91 के अनुसार देय आयकर की शुद्ध राशि पर पहुंचें।
आपकी मिलने वाली है एक आय आपके आयकर रिटर्न का हिस्सा होनी चाहिए। बेशक, कानून कुछ आय की छूट प्रदान करता है। उदाहरण के तौर पर एक भारतीय कंपनी से लाभांश आय, किसी भी वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपये तक के सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों पर LTCG। इसलिए, नीचे कुछ दिशानिर्देश हैं जिसका उपयोग करके आप अपनी आय पर देय करों की गणना कर सकते हैं:
•अपनी सभी आय को सूची/लिस्ट बना लें - वेतन, किराये की आय, पूंजीगत लाभ, ब्याज आय या आपके व्यवसाय या पेशे से लाभ हो भी शामिल करना है
•कानून के तहत छूट वाली आय को हटा दें
•आय के हर सोर्स के अनुसार उपलब्ध सभी लागू कटौतियों का दावा करें। उदाहरण के लिए वेतन आय से 50,000 रुपये की मानक कटौती का दावा करें, किराये की आय से नगर निगम के करों का दावा करें, अपने कारोबार के टर्नओवर आदि से व्यवसाय संबंधी खर्चों का दावा करें।
• अपनी आय के प्रत्येक शीर्ष के अंतर्गत सभी लागू छूटों का दावा कीजिए। उदाहरण के तौर पर दूसरे घर की संपत्ति में किए की गई निवेश राशि को पूंजीगत लाभ आय से छूट के रूप में अधिपत्य किया जा सकता है।
• अपनी कुल आय से लागू कटौतियों का दावा करें जैसे 80C, 80D , 80TTA , 80TTB आदि जैसी 80 कटौतियां का उपयोग कर सकते हैं।
• अब आप अपनी कर योग्य आय पर पहुंचेंगे। आप जिस टैक्स स्लैब के अंदर आते हैं, उसकी अच्छे से देखें और उसके अनुसार अपने देय आयकर की गणना करें।
सरकार टैक्स स्लैब, योजनाओं और कर लाभों को लाती रहती है और बदलती रहती है, इसलिए बजट के साथ तालमेल बिठाना एक अच्छा कदम होगा।
सभी पांच प्रमुखों (वेतन, गृह संपत्ति, पूंजीगत लाभ, व्यवसाय या पेशे, और अन्य स्रोतों), छूट, कटौती, छूट, घाटे का समायोजन, आदि से होने वाली कमाई को ध्यान में रखते हुए कर योग्य आय की गणना करने की प्रक्रिया को आय की गणना कहते हैं। आय की गणना के बाद, करदाता आयकर अधिनियम के तहत आयकर देयता की गणना कर सकता है।
धारा 87A के अंतर्गत छूट करदाताओं को अपनी आयकर देनदारी कम करने की अनुमति देता है। अगर आप एक निवासी व्यक्ति हैं और अध्याय VI-A कटौती (धारा 80C, 80D, 80U, आदि) को कम करने के बाद आपकी कुल आय की राशि एक वित्तीय वर्ष में 5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है, तो आप 12,500 रुपये तक की कर छूट का दावा कर सकते हैं। इसका साफ मतलब है कि अगर आपका कुल देय कर 12,500 रुपये से कम है, तो आपको कोई कर नहीं देना पड़ेगा।
बजट 2023 में, नई कर व्यवस्था के अंतर्गत 7 लाख रुपये की आय पर कर छूट पेश की गई है। इसलिए, अगर आपकी कर योग्य आय नई कर व्यवस्था के तहत 7 लाख से कम है, तो आपको कर का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
करदाता आईटी विभाग के ई-फाइलिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक रूप से आयकर रिटर्न दाखिल कर सकता। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए करदाता को सबसे पहले www.incometax.gov.in पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना/करना होगा। वेबसाइट पर लॉग इन करने के बाद करदाता अपना आईटीआर फाइल कर सकते है। इसके अलावा, आयकर विभाग को रिटर्न की पावती को मैन्युअल रूप से भेजने की कोई जरूरत नहीं है। आयकर विभाग अब अलग-अलग तरीकों से आईटीआर के ई-वेरिफिकेशन की अनुमति देता है, जो आयकर रिटर्न प्रक्रिया को पूरा करता है।
फॉर्म ITR-V एक इनकम टैक्स रिटर्न वेरिफिकेशन फॉर्म है, जो करदाता में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सबमिट करने के बाद जेनरेट होता है। ITR-V को ई-वेरिफिकेशन किया जाना चाहिए या फिर वेरिफिकेशन के लिए "आयकर विभाग - CPC, पोस्ट बॉक्स नंबर - 1, इलेक्ट्रॉनिक सिटी पोस्ट ऑफिस, बैंगलोर - 560100, कर्नाटक" बैंगलोर को भेजना चाहिए। ITR की प्रोसेसिंग तभी होती है जब उसका सही वेरिफिकेशन पूरा हो जाता है।
आप ClearTax पर अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। यहां तक कि अगर आप करों के बारे में कुछ नहीं जानते हैं, तो हम ई-फाइल करने में आपकी मदद करेंगे।
इनकम टैक्स 2022 की महत्वपूर्ण तारीख
• 15जून 2023 - वित्त वर्ष 2023-24 के लिए एडवांस टैक्स की पहली किस्त की देने की तारीख
• 15 जुलाई 2023 - वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की तिथि, उन व्यक्तियों और संस्थाओं के लिए जो टैक्स ऑडिट के लिए उत्तरदायी नहीं हैं और जो किसी भी अंतरराष्ट्रीय या निर्दिष्ट घरेलू लेनदेन में में शामिल नहीं है
• 15 सितंबर 2023 - वित्त वर्ष 2023-24 के लिए एडवांस टैक्स की दूसरी किस्त की देने की तारीख
• 30 सितंबर 2023 - आयकर अधिनियम के अंतर्गत ऑडिट के लिए उत्तरदायी करदाताओं के लिए निर्धारण वर्ष 2023-24 के लिए ऑडिट रिपोर्ट (धारा 44AB) दिखाने/प्रस्तुत करने की तारीख।
• 31 अक्टूबर 2023 - ऑडिट की जरूरत वाले करदाताओं के लिए आईटीआर फाइलिंग (अंतर्राष्ट्रीय या निर्दिष्ट घरेलू लेनदेन न हो) की तारीख
• 31 अक्टूबर 2023 - ट्रांसफर प्राइसिंग और निर्दिष्ट घरेलू लेनदेन वाले करदाताओं के लिए निर्धारण वर्ष 2023-24 के लिए ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तारीख
• 30 नवंबर 2023 - ऑडिट की जरूरत वाले करदाताओं के लिए आईटीआर फाइलिंग (अंतर्राष्ट्रीय या निर्दिष्ट घरेलू लेनदेन नहीं)।
• 15 दिसंबर 2023 - वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए एडवांस टैक्स की तीसरी किस्त की देने की तारीख
• 31 दिसंबर 2023 - वित्त वर्ष 2022-23 के लिए विलंबित रिटर्न या संशोधित रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख
आयकर अधिनियम में वे सभी प्रावधान शामिल हैं जो देश के कराधान को नियंत्रित करते हैं। हर साल फरवरी में वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किया जाता हैं। केंद्रीय बजट आयकर अधिनियम में तरह तरह के संशोधन लाता है। वर्तमान वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए सबसे हालिया केंद्रीय बजट में एक नई कर व्यवस्था की शुरुआत शामिल की गई।
आईटी अधिनियम के अलावा, आयकर कानून में अन्य घटक आयकर नियम, परिपत्र, नोटिफिकेशन और केस कानून शामिल हैं। ये सभी आयकर कानून को लागू करने और करों के संग्रह में मददगार हैं।
आयकर विभाग एक सरकारी एजेंसी है। अधिनियम एक्ट भारत सरकार की ओर से प्रत्यक्ष कर वसूलने के लिए आयकर विभाग को अधिकार देता है। वित्त मंत्रालय भारत सरकार के राजस्व कार्यों को संभलता है। वित्त मंत्रालय ने आयकर आदि जैसे प्रत्यक्ष करों के प्रशासन की जिम्मेदारी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को सौंपी है। सीबीडीटी वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग के हिस्सों में से एक है। सीबीडीटी आईटी विभाग के माध्यम से प्रत्यक्ष कर कानूनों का सुचारू रूप से संचालन करता है। इस तरह से, आयकर विभाग एक सरकारी एजेंसी है जो सीबीडीटी के नियंत्रण और देखरेख के अंतर्गत आयकर कानून का संचालन करती है। भारत सरकार की ओर से प्रत्यक्ष कर इक्कठा करने का अधिकार आयकर विभाग को दिया गया है।
• नया अपडेटेड रिटर्न: कर देने वालों को रिटर्न अपडेट करने और अतिरिक्त कर के भुगतान पर किसी भी छूटी हुई आय को शामिल करने की अनुमति देने के लिए एक नया प्रावधान शामिल किया गया है। अपडेटेड रिटर्न को प्रासंगिक मूल्यांकन वर्ष के अंत से दो साल के भीतर दाखिल करने की जरूरत होती है।
• सरचार्ज: कॉरपोरेट सरचार्ज को 12 प्रतिशत से घटाकर 7प्रतिशत किया जाएगा।
• स्टार्टअप्स: धारा 80-IAC के अंतर्गत योग्य स्टार्टअप्स को अब 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दिया गया है।
• वैकल्पिक न्यूनतम कर(Alternate Minimum Tax): सहकारी समितियों के लिए AMT को कम करके 15 प्रतिशत किया जाएगा।
• क्रिप्टो कराधान: क्रिप्टो जैसी डिजिटल संपत्ति के ट्रांसफर से होने वाली आय पर 30% कर लगेगा। डिजिटल संपत्ति के अधिग्रहण की लागत को छोड़कर किसी कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी। डिजिटल संपत्ति की बिक्री पर होने वाले नुकसान को किसी अन्य आय से समायोजित नहीं किया जाएगा। आय सीमा से ज्यादा होने पर 1% की दर से टीडीएस कटेगा। डिजिटल संपत्ति का उपहार लेने वाले के हाथ में कर होगा।
• NPS: वित्त मंत्रालय ने राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) टियर- I खाते में नियोक्ताओं के योगदान की कटौती सीमा को 10% से बढ़ाकर 14% बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है।
•धारा 80DDB: विकलांगों के माता-पिता/अभिभावक बीमा योजना के भुगतान के लिए कर कटौती ले सकते हैं जो माता-पिता और अभिभावकों के जीवनकाल के दौरान वार्षिकी के भुगतान या एकमुश्त राशि के भुगतान के लिए माता-पिता और अभिभावकों को उनकी आयु प्राप्त करने पर प्रदान करता है। साठ वर्ष या उससे अधिक की आयु वाले लोगो के लिए इस योजना के लिए भुगतान या जमा बंद कर दिया गया है।
• योग्य व्यापार कटौतियां: आय पर लगाए गए किसी भी अधिभार और उपकर को व्यवसाय व्यय के रूप में अनुमति नहीं दी गई है।
• लॉस सेट ऑफ नियम: किसी भी सर्वेक्षण या खोज के दौरान पता चली अघोषित आय के खिलाफ आगे लाया गया लॉस सेट ऑफ नहीं किया जायेगा।
आय की रिटर्न का दाखिला कब करना अनिवार्य है?
कंपनियों और फर्मों को अनिवार्य रूप से आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करना जरूरी है। लेकिन, अगर आय 2.5 लाख रुपये की मूल छूट सीमा से अधिक है, तो व्यक्तियों, एचयूएफ, एओपी, बीओआई को आईटीआर दाखिल करना होगा। यह सीमा वरिष्ठ नागरिकों (3 लाख रुपये) और अति वरिष्ठ नागरिकों (5 लाख रुपये) के लिए अलग-अलग है।
अगर मेरी आय कर योग्य सीमा से कम है तो क्या मैं आय की विवरणी दाखिल कर सकता हूं?
हाँ, आप अपनी इच्छा अनुसार आय की विवरणी दाखिल कर सकते हैं भले ही आपकी आय मूल छूट सीमा से कम हो।
आय की विवरणी के साथ कौन कौन से दस्तावेज़ संलग्न करना जरूरी है?
आय विवरणी के साथ कोई दस्तावेज संलग्न करने की जरूरत नहीं है। लेकिन भविष्य में जब भी जरूरत हो, किसी भी सक्षम प्राधिकारी के सामने प्रस्तुत करने के लिए दस्तावेजों को अपने पास रखें।
क्या मुझे रिटर्न में अपनी पूरी आय का खुलासा करना चाहिए, भले ही वह छूट प्राप्त हो?
हाँ छूट प्राप्त आय सहित प्रत्येक सोर्स से आय का खुलासा करना चाहिए। इसे शिड्यूल EI के अंतर्गत दिखाया जा सकता है।
क्या मुझे आईटी रिफंड हासिल करने के लिए ई-वेरिफिकेशन करना चाहिए?
आईटीआर फाइलिंग की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से दाखिल आयकर रिटर्न का ई-वेरिफिकेशन अनिवार्य है। निर्धारित समय के अंदर आयकर रिटर्न का ई-वेरिफिकेशन करना चाहिए। नॉन-वेरिफाइड आईटीआर को अमान्य माना जाता है। आप आधार ओटीपी, बैंक एटीएम, इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (ईवीसी) और नेट-बैंकिंग द्वारा आईटीआर का ई-वेरीफिकेशन कर सकते हैं।
अगर कोई अन्य आय नहीं है तो क्या मैं दीर्घावधि और लघु अवधि के पूंजीगत लाभ पर कर से धारा 87A की छूट ले सकता हूं?
लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स से आप सेक्शन 87A के अंतर्गत छूट ले सकते हैं। लेकिन, अगर इक्विटी शेयरों या इक्विटी ओरिएंटेड फंड्स (सेक्शन 112ए) की बिक्री से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन है, तो आप ऐसे एलटीसीजी पर टैक्स से सेक्शन 87A के अंतर्गत छूट को नहीं ले पाएंगे।
क्या असेसमेंट ईयर पूरा होने के बाद रिटर्न फाइल किया जा सकता है?
बजट 2022 में एक 'अपडेटेड' रिटर्न पेश करने का प्रस्ताव है, जिसे संबंधित निर्धारण वर्ष की समाप्ति के 24 महीने के अंदर अतिरिक्त कर के भुगतान पर दाखिल किया जा सकता है। यहां तक कि अगर आपने आयकर अधिनियम में निर्दिष्ट नियत तारीख से पहले मूल रिटर्न दाखिल नहीं किया है, तो भी आप 'अपडेटेड' रिटर्न फाइल भी कर सकते हैं।